श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में धूमधाम से मनाया गया 75 वां गणतंत्र दिवस समारोह

NaradSandesh।।फरीदाबाद,26 जनवरी,2024: श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया।  विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया और सलामी ली। राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर तिरंगी फिजा में रंगा हुआ नजर आया। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच तिरंगे गुब्बारे आसमान में छोड़े गए। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने इस अवसर पर सभी से भारत के महान गणतंत्र को सशक्त बनाने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने का आह्वान किया।


उन्होंने कहा कि भारत विश्व का महान लोकतंत्र है, लेकिन हमें यह गौरव बहुत बलिदानों के बाद मिला है। इसलिए देश के प्रत्येक नागरिक को अपने गणतंत्र की प्रतिष्ठा और शक्ति के लिए संकल्पित रहना चाहिए। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि 75 वर्षों में हमारे देश ने बहुत तरक्की की है और पिछले 10 वर्षों में विकास की गति और तेज हुई है। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हम देश को विकसित भारत की ओर बढ़ते हुए देख रहे हैं। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने सभी से कंफर्ट जोन से बाहर आकर काम करने का आह्वान किया।


विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने कहा कि भारत का महान लोकतंत्र हमें न्याय और समानता देता है। हमें राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर काम करना चाहिए। प्रोफेसर राणा ने कहा कि हमें उन बलिदानियों को भी याद रखना चाहिए, जिनकी बदौलत हम आज खुली हवा में सांस लेकर अधिकारों की बात करने में सक्षम हुए हैं। कुलपति डॉ. राज नेहरू और कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने हिंदी ओलंपियाड, खेल प्रतियोगिताओं व अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियां अर्जित करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया। 


श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय इन्नोवेटिव स्किल स्कूल के विद्यार्थियों ने देशभक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर कुलवंत सिंह ने सभी का स्वागत किया और विद्यालय के प्राचार्य डॉ. जलबीर सिंह ने आभार ज्ञापित किया। 

इस अवसर पर अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़, प्रोफेसर निर्मल सिंह, प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव, प्रोफेसर एके वाटल, प्रोफेसर जॉय कुरियाकोजे, प्रोफेसर ऊषा बत्रा, डॉ. संजय राठौर, डॉ. मनी कंवर, डॉ. श्रुति गुप्ता, डॉ. सविता शर्मा, उप कुलसचिव डॉ. ललित शर्मा, ओएसडी संजीव तायल और पीयूष चतुर्वेदी के अलावा काफी संख्या में शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित थे। 


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