सत्ता से ताला खुलते ही 'चाबी' छोड़ भागने लगे नेता, धोखा दिया तो धोखा ही मिलेगा !

NaradSandesh।।फरीदाबाद,09अप्रैल,2024: जब बोया पेड बबूल का फिर आम कहां से खाएं।अपनों को धोखा दिया तो धोखा ही तो पाओगे। यह सभी बातें जनवादी जनता पार्टी पर सटीक बैठती हैं। पिता - पुत्र की पार्टी जजपा सुप्रीमो डॉ अजय चौटाला और उनके पुत्र दुष्यंत चौटाला ने इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी ( इनेलो ) के सुप्रीमो अपने दादा - चाचा ( पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला ) को धोखा देकर परदादा पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व ताऊ देवीलाल के विचारों के नाम पर उनके चित्र के साथ जनवादी जनता पार्टी बनाई। राजनीतिक फायदे का अवसर देखकर अपने जजपा के दस विधायकों को लेकर भाजपा के साथ गठबंधन कर हरियाणा की सत्ता में साझेदार बन गए।

हरियाणा में चार साल जजपा और भाजपा गठबंधन की सरकार चली। जजपा सुप्रीमो ने सत्ता की खूब मलाई खाई।अति शीघ्र मिली सफलता अति महत्वाकांक्षी बना देती है। पार्टी बनाते ही दस विधायक बन गए। जिनके दम पर गठबंधन की बैसाखी के सहारे सत्तारूढ़ हो गए। फिर लोकसभा चुनाव -2024 में सबसे बड़ी पंचायत यानी संसदमें जाकर केंद की सत्ता में शामिल होने के मुंगेरी लाल के सपने देखने लगे। इसी लालच ने बनी बनाई राजनीतिक छवि को हालातों ने धराशाही कर दिया। देश की सत्ता के चक्कर में प्रदेश की सत्ता भी चली गयी। इसी के साथ पार्टी के असंतुष्ट, जजपा पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सरदार निशांत सिंह, विधायक, पूर्व विधायक इस्तीफा देकर धीरे धीरे जाने लगे हैं।  

जनवादी जनता पार्टी के पिता - पुत्र ने अपनों को धोखा दिया अब उन्हें भी धोखा मिलने लगे। सत्ता के ताले की पकड़ कमजोर होते देख,नयी कुर्सी और राजनीतिक फायदे के लिए नेताओं में भगदड़ मची हुई है। मलाई खाने वाले और जिन्हें सिर्फ आश्वासन मिला मौका पाते ही सुरक्षित राजनीतिक भविष्य को लेकर पार्टी से निकलने लगे हैं। बेबसी थी या सुअवसर की तलाश। जनवादी जनता पार्टी के नेताओं की अंतरात्मा जागने लगी है। इसलिए विधायक जेजेपी पार्टी से अपना दामन छुड़ाकर भागने लगे हैं। आज सुबह से ही इस्तीफे देने की होड़ सी मची है। जिसमें जजपा के विधायक और पूर्व विधायक शामिल हैं। भारतीय नव वर्ष और नवरात्रे के प्रथम दिवस पर जनवादी जनता पार्टी में भगदड़ जैसे हालात बने हुए हैं। सभी के इस्तीफे रात से सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।

चर्चा है कि जनवादी जनता पार्टी  मोह भंग हो चुके इन विद्रोही विधायक और पूर्व विधायकों के भारतीय जनता पार्टी या कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की आशंका है। त्यागपत्र देने वाले सभी नेता मोटे राजनीतिक फायदे के लिए दोनों पार्टियों ( बीजेपी और कांग्रेस ) के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। 


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