जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में में नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को उन्नत बनाने पर चर्चा

NaradSandesh।।फरीदाबाद,30 जनवरी। जे.सी.बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा सतत ई-गतिशीलता के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को उन्नत बनाने को लेकर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा प्रायोजित एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के साथ-साथ अन्य विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्य भी हिस्सा ले रहे है। 


उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित एलुमनाई तथा डी.वाई. पाटिल एजुकेशन सोसाइटी (डीम्ड युनिवर्सिटी) के कुलपति प्रो. राकेश मुद्गल मुख्य अतिथि रहे। आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर भीम सिंह ने सत्र में सम्मानित अतिथि एवं मुख्य वक्ता रहे तथा कुलपति प्रोफेसर सुशील कुमार तोमर ने सत्र की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में डीन (संस्थान) प्रो. संदीप ग्रोवर, डीन (एफईटी) प्रो. राज कुमार, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग की अध्यक्षा प्रो. अंजू गुप्ता और अन्य संकाय सदस्यों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रश्मी अग्रवाल एवं डॉ. योगेन्द्र आर्य द्वारा किया गया।

सत्र की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. रश्मी अग्रवाल ने कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रदान किया। इसके उपरंात प्रो. अंजू गुप्ता ने विशिष्ट अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम की विषय-वस्तु पर विचार रखे। कुलपति प्रो. तोमर ने सतत ई-गतिशीलता को उन्नत बनाने एवं प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों में पर विचार साझा किये।


मुख्य अतिथि प्रोफेसर राकेश मुद्गल ने गैर-नवीकरणीय से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बदलाव लाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने नवीकरणीय संसाधनों के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे उन्हें अपनाने से स्वच्छ और सतत भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। अपने मुख्य संबोधन में भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी के प्रतिष्ठित फेलो प्रोफेसर भीम सिंह ने कार्यक्रम के मुख्य विषय पर विचार रखे तथा वर्तमान प्रदूषण संकट और संसाधनों की कमी से निपटने में नवीकरणीय संसाधनों की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला।

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